
सोचिये कि एक कंपनी जिसकी पिछले साल कुल बिक्री रु.2605 करोड़ की थी और घाटा रु. 2386 करोड़ का था, वह बिना किसी अड़चन के मोटा-मोटी रु.
10000 करोड़ जनता से उगा ले जायेगी। कोई पूंछने वाला नहीं है।..अब क्या है कि बाजार में अफवाह है कि इस शेयर पर 10-15 रु का प्रीमियम चल रहा है। इसका मतलब यह है कि जिसे IPO के माध्यम से 100 शेयर मिल जायेंगे, उसे इस कंपनी के शेयर के स्टाक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाने पर खरीदने- बेचने की अनुमति मिलने पर करीब 1000-1500 रु का फायदा प्रति 100 शेअर हो सकता है। इस तरह से युवाओं में इस शेयर की क्रेज पैदा की जा रही है ताकि लोग लालचवश ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदने के लिये एप्लाई करें। जबकि जरूरी नहीं है कि इस शेयर के लिस्ट हो जाने पर इतना फायदा हो ही जाये। घाटा भी हो सकता है।
मेरी सलाह:
1.किसी भी अहिंसक/दयालु एवं शाकाहारी व्यक्ति को इस कंपनी के शेयरों से दूर रहना चाहिए ताकि वे पशु-पक्षियों की हिंसा करने वाले उपक्रमों के अमानवीय कृत्यों के पापों की भागीदारी करने से बचे रह सकें।👹
कोई कंपनी 2600 करोड़ की बिक्री कर लगभग 2400 करोड़ का घाटा उठाती है तो वह किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो?..सोना-चांदी ही क्यों न बेचती हो, उस कंपनी को दूर से ही नमस्ते करना उचित है।😁
मार्केट रेगुलेटर द्वारा इतने ज्यादा रुपयों को शेयर मार्केट से उगाहने की मंजूरी दिया जाना निश्चित ही बेहद चिंताजनक है।
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थोड़ा कहा, अधिक समझना
😎😎
एन के जीवमित्र
9910378087